एक खत महेंद्र सिंह धोनी के नाम उनके 36वें जन्मदिन पर !!
पांचवी कक्षा तक पहुँचते पहुँचते क्रिकेट थोड़ा बहुत बुझाने लग गया था । सचिन सर एकदम पीक पे चल रहे थे । अब नया नया क्रिकेट का परवान सर चढ़ा था तो एक खुद का बैट होना बनता था । और नाम एक ही पता था, सचिन वाला “MRF”, पापा से मिन्नतें कर के खरीदवा लिए और साथ के बच्चों के साथ हर बड़े क्रिकेटर का शॉट कॉपी करने लगे। क्रिकेट में रूचि बढ़ती गयी और दिल खोल के फॉलो करने लग गए ।
ये वो दौर था जब भारतीय क्रिकेट में विकेटकीपरों का स्थान पक्का नहीं रहता था, आते जाते रहते थे, मोंगिया के अलावा और किसी का नाम याद रहा नहीं । फिर बांग्लादेश के साथ वाले सीरीज में विकेट के पीछे एक नया लड़का दिखा, लंबे बाल, थोडा कलर किये हुए, मुस्कुराता हुआ चेहरा । और वहां से दौर शुरू हुआ हमारे रांची के राजकुमार महेंद्र सिंह धोनी का ।
हालांकि भईया हमारे पहले मैच पे शुन्य पे पवेलियन लौट गए थे, और पुरे सीरीज़ में बैट से कुछ ख़ास दिखा भी नहीं पाये थे पर तब भी हमको बहुत ज्यादा ख़ुशी थी की हमारे शहर का कोई उस लेवल पे पहुँच गया है ।
अगला सीरीज था पाकिस्तान से और धोनी के सिलेक्शन को लेके डाउट भी था, पर सेलेक्टर्स ने धोनी को फिर से मौका दिया और फिर जो हुआ वो इतिहास के पन्नों में जाके छप गया । पाकिस्तान में धोनी का अलग ही विस्फोटक रूप दिखा । पाकिस्तान में जाके पाकिस्तानी गेंदबाजों की धुलाई करना एक बड़ी बात है पर धोनी जैसे चौके छक्के लगा रहे थे, उस चीज़ ने पाकिस्तानियों का कॉन्फिडेंस हिला के रख दिया था । वो सीरीज हम जीत के आये थे और धोनी सबके हीरो बन चुके थे, यहाँ तक की मुशर्रफ साहब भी धोनी के कायल हो चुके थे । उस सीरीज में भारत को एक फुर्तीला विकेटकीपर और ताबड़तोड़ बल्लेबाज मिल चुका था ।
फिर धोनी जहाँ भी गए वहां झंडा गाड़ के आये, श्रीलंका वाला 2005 के सीरीज वाले एक मैच में उन्होंने 183 नाबाद की सबसे ताबड़तोड़ पारी खेली थी, ऐसा लग रहा था की अगर श्रीलंका वालों ने थोड़ा और ज्यादा लक्ष्य दिया होता तो धोनी उस दिन 200 मार के विश्व के पहले दोहरे शतक बनाने वाले बल्लेबाज बन जाते ।
फिर 2007 की शुरुआत में थोड़ा बुरा समय चला भारत क्रिकेट का और उसमे धोनी भी प्रभावित हुए । विश्व कप के पहले चरण में ही भारत बाहर हो गया और रांची में गुस्साए लोगों ने धोनी के नए घर की बॉउंड्रीज ढाह दी । ये वो समय था जब भारतीय क्रिकेट के लिए कुछ भी अच्छा नहीं चल रहा था ।
कुछ समय बाद सुनने में आया की टी-20 वर्ल्ड कप जैसा कुछ होने वाला है, सभी दिग्गजों ने खेलने से मना कर दिया और सचिन ने सुझाव दिया की इस फॉर्मेट के लिए धोनी को कप्तान बनाया जाये । हमारे लिए तो बहुत फक्र की बात थी की रांची का लड़का भारतीय टीम का नेतृत्व करेगा । पर किसी को इस टीम से ज्यादा उम्मीद नहीं थी, पर साउथ अफ्रीका में धोनी के कप्तानी में इस टीम ने जो किया वो क्रिकेट के इतिहास में भारत को शिखर पे ले गया । इस वर्ल्ड कप में भारत ने अपना पहला मैच पाकिस्तान से जीत के शुरू किया और अंतिम मैच पाकिस्तान से जीत के ख़त्म । काफी स्पेशल मोमेंट था वो पुरे देश के लिए और हमारे रांची के लिए, श्रीशांत ने जैसे ही वो कैच पकड़ा, एकदम पगला गए थे हम, और क्यूँ न हो, भारत की ये यंग टीम विश्व विजेता बन चुकी थी ।
फिर धोनी को वन डे की भी कप्तानी सौंप दी गयी, अब धोनी एक लंबे बाल वाला विस्फोटक बल्लेबाज नहीं रह गया था, छोटे बालों वाला एक समझदार कप्तान और निचले क्रम का भरोसेमंद बल्लेबाज जिसने हमेशा ऊपर वाले क्रम के लड़खड़ाने के बाद टीम का स्कोर ज्यादा से ज्यादा ले जाने की जिम्मेदारी संभाली ।
2011 में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड से टेस्ट में करारी हार मिली थी । फिर वन डे वर्ल्ड कप आया, भारत तगड़ी टीम लेके उतरा था, किसी ने बहुत ज्यादा अरमान नहीं पाले थे, पर अंदर अंदर सब जीत की कामना कर रहे थे । सभी टीमों के छक्के छुड़ाते हुए भारत फिर से फाइनल में था और सामने थी श्रीलंका । सचिन सेहवाग के जल्दी आउट होने के बाद ऐसे ही सबका हलक सूखा हुआ था । पर गौतम गंभीर ने संघर्ष जारी रखा था, इस बार धोनी ने अचानक फैसला लिया की वो युवराज से ऊपर बैटिंग करेगा, उसके बाद जो हुआ वो उसने इतिहास बना के रख दिया, धोनी का छक्का, रवि शास्त्री की चीख और हम सब की ख़ुशी का ठिकाना न रहा । 28 सालों के बाद वर्ल्ड कप भारत के झोली में था । पूरी रांची पटाखों की रौशनी से चमक उठी थी । वो नजारा भुलाये नहीं भूलता ।
2013 में अंग्रेजों की धरती से उस टीम से चैंपियंस ट्रॉफी निकलवा ली जिसमे कुछ लोग जगह बनाने को खेल रहे थे और कुछ बचाने को ।
धोनी भइया, तुमरी वो आँखें चौंधियांने वाली स्टम्पिंग पे तो ऐसे भी पूरी दुनिया कायल है, कैसे कर लेते हो ऐसा, कहाँ सीखा । हर बड़े इवेंट में डिविलियर्स को रन आउट करने का जिम्मा भी तुम ही उठाये हुए हो । अजीबोगरीब तरह से विकेट के पीछे रन भी बचा लेते हो । तुमको देख के ऐसे कोई सीखना भी चाहे ये सब तो कैसे सीखे, नामुमकिन चीज़ कर कर के दिखाते रहते हो ।
किसी के मुँह में हाथ डाल के जीत कैसे बाहर निकालना है कोई तुमसे सीखे, तुमको का लगता है की बांग्लादेश को वो मैच याद करके नींद आती होगी । अजीब ख़ुशी थी वो, भयानक टेंशन के बाद जो ख़ुशी मिलती है न अचानक से वैसी वाली, काहे हम बच्चा लोग को डरा देते हो ऐसा ऐसा चीज़ दिखा के ।
धोनी भईया, तुम पहले ऐसे हीरो हो जिसको समझना IIT के सबसे काम्प्लेक्स सवाल को हल करने के जैसा है । तुमको बयां करना बहुत मुश्किल है, ऐसे आदमी हो जो चीज़ों को सिंपल रखने के लिए जाना जाता है, एक ही मैच के अंदर स्वाभाविकता और ज़िद कैसे दिखाते हैं कोई तुमसे सीखे, सबसे सफल कप्तान भी तुम हो और हार के वक़्त सबसे ज्यादा मजबूर भी तुम हो । चाहे तुम हारो या जीतो हमें तुमपे नाज़ है । अब कोई दूसरा महेंद्र सिंह धोनी नहीं हो सकता ।
तुम्हारे एक जबर फैन और पूरे रांची की तरफ से जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई । ऐसे ही दुनिया हिलाते रहो, हम सबको चौंकाते रहो । बाकी जो है सो हइये है ।
~ सजल सूरज